उत्तर प्रदेश में Special Intensive Revision (SIR) यानी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का काम इन दिनों बड़े लेवल पर चल रहा है। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया का सबसे ज़्यादा भार BLO (Booth Level Officer) पर पड़ रहा है। स्थिति इतनी खराब है कि कई BLO मानसिक तनाव में हैं, कई रो पड़ते हैं, और दो जिलों— गोंडा और फतेहपुर में कर्मचारी काम के दबाव के कारण आत्महत्या तक कर चुके हैं—यह आरोप उनके परिवार वालों का है।
दैनिक भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट में पता चला कि एक तरफ आम जनता को SIR फॉर्म की जानकारी नहीं है, दूसरी तरफ BLO को लगातार 24 घंटे काम, फील्ड में बदतमीजी, टारगेट का दबाव और परिवार को संभालने की दिक्कत—सब झेलना पड़ रहा है।
शिक्षामित्र शिप्रा मौर्या की आंखों के आंसू बोले दर्द
लखनऊ के मल्हौर रोड स्थित रानी लक्ष्मीबाई मेमोरियल स्कूल में फॉर्म भरवाने का काम चल रहा था। भीड़ में एक महिला अपने ढाई-तीन साल के बच्चे को गोद में लिए रो रही थीं। यह थीं शिप्रा मौर्या, जिन्हें शिक्षामित्र होने के साथ-साथ BLO की ड्यूटी दी गई है।
शिप्रा ने कहा—
- “काम का इतना दबाव है कि बता नहीं सकती।”
- “रात में 3 बजे तक लोगों की कॉल आती है। फॉर्म को लेकर सवाल पूछे जाते हैं।”
- “फील्ड में जाते हैं, तो लोग दरवाजा ही नहीं खोलते। अगर खोलते हैं तो बोलते हैं— तुम ही भर दो, यह तुम्हारा काम है।”
शिप्रा स्कूटी नहीं चला पातीं, इसलिए वे रिक्शा बुक करके फील्ड में जाती हैं। उनका छोटा बच्चा उनके साथ रहता है।
शिप्रा रोने लगीं तो उनका 3.5 साल का बेटा उनकी आंखों के आंसू पोंछने लगा।
उन्होंने बताया—
- “फोन नंबर पब्लिक के पास है, कोई भी कभी भी कॉल कर देता है— रात 3 बजे, 4 बजे…”
- “फील्ड में लोग गलत बर्ताव करते हैं।”
जॉइंट मजिस्ट्रेट साहिल कुमार मौके पर पहुंचे तो उन्होंने शिप्रा को समझाया, “रोइए मत, जो मिसबिहेव करे उसकी शिकायत करिए।”
अन्य महिला BLO का दर्द — ‘खुद फॉर्म भरिए, आप देने आई थीं’
एक अन्य BLO गीता देवी ने बताया—
- “हम पर टारगेट का बहुत दबाव है।”
- “लोग कहते हैं— हमने नहीं भरना, आप ही भरिए, आप BLO हैं।”
- “सुबह 3 बजे से लेकर रात 1 बजे तक फोन आते हैं।”
- “फील्ड में जाने पर कई लोग फॉर्म लेने से मना कर देते हैं।”
उन्होंने कहा कि जिन लोगों के यहाँ उनका नंबर लगा है, वहाँ कॉल टाइमिंग लिखनी चाहिए, वरना किसी भी समय फोन आ जाता है।
पुरुष BLO जगतपाल की कहानी — ‘मरो-जीओ किसी को फर्क नहीं’
जगतपाल एकदम जल्दी में थे, क्योंकि उन्हें डांट पड़ी थी। उन्होंने बताया—
- “हम रोज फॉर्म मांगने जाते हैं, तो लोग कहते हैं— अभी नहीं भरा।”
- “टारगेट है 100–200 फॉर्म रोज। ऊपर से रात 10 बजे तक रुकने को कहा जाता है।”
- “अगर टारगेट नहीं पूरा हुआ तो वेतन रोकने और नौकरी खतरे की धमकी मिलती है।”
- “यहाँ सपोर्ट के लिए कोई नहीं है। बस काम चाहिए, चाहे हालत कुछ भी हो।”
फील्ड में अव्यवस्था — जनता भी परेशान, BLO भी परेशान
BLO बताते हैं—
- “लोग घर पर होते हुए भी दरवाजा नहीं खोलते।”
- “कुछ कहते हैं— आप फॉर्म देने आई थीं, वापस लेने भी आएं।”
- “कई लोग गलत जानकारी देते हैं।”
- “रात 11–12 बजे तक फॉर्म भरते हैं, फिर सुबह 4 बजे से ड्यूटी शुरू।”
एक BLO सुदेशा गौतम कहती हैं—
- “24 घंटे काम करना पड़ रहा है। खाना-पीना तक नहीं हो पा रहा।”
- “शिकायत ऊपर तक पहुँचती है, लेकिन हमें ही डांट पड़ती है।”
सुपरवाइजर प्रेम तिवारी बताते हैं कि 25% काम हो चुका है, लेकिन दिक्कतें बहुत ज्यादा हैं।
अब जनता की परेशानी
फॉर्म भरने आए लोगों ने कहा—
- “हमें समझ ही नहीं आता फॉर्म कैसे भरें।”
- “भाग संख्या क्या है, कोई बता नहीं रहा।”
- “BLO हमारी तरफ आता ही नहीं।”
- “लगता है पब्लिक को परेशान करने के लिए SIR किया जा रहा है।”
कुछ लोग कहते हैं कि उनका नाम लिस्ट से कट चुका है, इसलिए फॉर्म भर ही नहीं पा रहे।
अफसर का पक्ष — SIR का प्रचार हो रहा, लोग ढिलाई बरत रहे
जॉइंट मजिस्ट्रेट साहिल कुमार का कहना है—
- “लोगों को लगता है कि अभी बहुत समय है, इसलिए वे फॉर्म नहीं भर रहे। इससे प्रक्रिया धीमी हो रही है।”
- “ऑनलाइन पोर्टल पर कई लोग अपना नाम खोज नहीं पा रहे, इससे भ्रम बढ़ा है।”
- “BLO और सुपरवाइजर लगातार फील्ड में काम कर रहे हैं।”
- “हर विभाग SIR का प्रचार कर रहा है ताकि ज्यादा लोग समय पर फॉर्म भर सकें।”
निष्कर्ष — प्रणाली पूरे दबाव में, सुधार की ज़रूरत
इस पूरी प्रक्रिया में यह साफ दिखता है कि—
- BLO पर अत्यधिक वर्कलोड है
- जनता को सही जानकारी नहीं
- फील्ड में सुरक्षा और सम्मान का अभाव
- मानव संसाधन और सिस्टम दोनों कमज़ोर
- ऑनलाइन पोर्टल धीमा और confusing
- टारगेट, डांट और नौकरी के डर से कर्मचारी तनावग्रस्त
SIR का उद्देश्य भले ही मतदाता सूची को अपडेट करना है, लेकिन मौजूदा हालात में यह प्रक्रिया BLO और जनता—दोनों के लिए तनाव का कारण बन गई है।