WHO: ‘विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है, भारत को छोड़ देनी चाहिए सदस्यता’; कार्डियोलॉजिस्ट डॉ असीम मल्होत्रा का बयान

नेशनल डेस्क : प्रख्यात ब्रिटिश-भारतीय हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. असीम मल्होत्रा ​​ने आरोप लगाया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पूरी तरह से अपनी स्वतंत्रता खो चुका है और उन्होंने सुझाव दिया कि भारत सरकार को विभिन्न मुद्दों पर उसकी सलाह को नजरअंदाज करना चाहिए तथा इस वैश्विक स्वास्थ्य संस्था से बाहर निकल जाना चाहिए। मल्होत्रा ने यह भी दावा किया कि दवाओं से संबंधित डेटा का नियामक स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन नहीं करते हैं।

उन्होंने हाल में यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ‘द कॉरपोरेट कैप्चर ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ’ पर व्याख्यान दिया था। मल्होत्रा ने कहा कि एफडीए जैसे दवा नियामकों, जिनसे दवाओं का मूल्यांकन करने की अपेक्षा की जाती है, को अपने बजट की 65 फीसदी निधि बड़ी दवा कंपनियों से मिलती है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के दवा नियामक को अपने बजट की 86 फीसदी निधि दवा कंपनियों से मिलती है।
 

मल्होत्रा ने कहा, ‘‘यहां हितों का बड़ा टकराव है, लेकिन मरीजों और चिकित्सकों को लगता है कि ये संगठन स्वतंत्र रूप से डेटा का मूल्यांकन कर रहे हैं, लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं। जब तक हम स्वास्थ्य नीतियों को बनाने और निर्णय लेने की प्रक्रिया से हितों के इन व्यावसायिक टकरावों को दूर नहीं करते, हम प्रगति नहीं करेंगे।”

मल्होत्रा ​​ने दावा किया कि पिछले दो दशकों में बड़ी दवा कंपनियों द्वारा उत्पादित अधिकांश नई दवाएं पुरानी दवाओं की नकल हैं, और उनमें से 10 प्रतिशत से भी कम दवाएं ही असल में नवीन हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वे दवा के अणुओं को बदल देते हैं, इसे अधिक महंगा कर देते हैं, नाम बदल देते हैं और इसे फिर से नये ब्रांड के रूप में बाजार में उतारते हैं। इसके बाद वे मुनाफा हासिल करते हैं…।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *