रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान सोमवार को 45 मिनट तक चला। इस अनुष्ठान का शुभारंभ 12:10 बजे संकल्प के साथ हुआ था जबकि पूर्णाहुति मूर्ति और देवताओं के निमित्त किए गए हवन से हुई। प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 16 जनवरी को प्रायश्चित पूजन से शुरू हुआ था। रोजाना आठ से दस घंटे पूजा होती रही।
प्राण प्रतिष्ठा से पहले रोज की तरह वैदिक आचार्यों ने रामलला को वैदिक मंत्रों से जगाया। इसके बाद वैदिक मंत्रों से मंगलाचरण हुआ। प्राण प्रतिष्ठा के बाद यज्ञ मंडप में वसोधारा पूजन हुआ। ऋग्वेद और शुक्ल यजुर्वेद की शाखाओं का होम और परायण हुआ। इसके बाद शाम को अग्नि में नारियल डालकर उस पर घी की धारा अर्पित की गई। इसके बाद हवन कर देवताओं का विसर्जन किया गया। इससे पहले 16 जनवरी को प्रायश्चित पूजन व कर्मकुटी पूजन किया गया। 17 जनवरी को जलयात्रा के साथ कलश स्थापना हुई।
18 जनवरी को गणेश अंबिका पूजन, मंडप प्रवेश, यज्ञभूमि और वास्तुपूजन हुआ। इसके बाद मूर्ति के अधिवास शुरू हुए। 19 जनवरी को औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास और धान्याधिवास हुए। 20 जनवरी को राममंदिर के परिसर में 81 कलशों की स्थापना और पूजा हुई। फिर शर्कराधिवास और फलाधिवास हुआ। 21 जनवरी को अस्थाई मंदिर में विराजमान रामलला की मूर्ति को नए मंदिर में विराजित किया गया। संवाद
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में फिल्मी दुनिया की हस्तियां भी मौजूद रहीं। प्रख्यात भजन गायिका अनुराधा पौड़वाल, सोनू निगम व शंकर महादेवन ने प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलला को भजन सुनाए। समारोह के दौरान 50 से अधिक मनोरम वाद्ययंत्र की मंगल ध्वनि से परिसर गूंजता रहा। इस मांगलिक संगीत कार्यक्रम के संयोजक साहित्यकार यतींद्र मिश्र रहे।
गायक सोनू निगम ने मंगल भवन अमंगल हारी… की भावपूर्ण प्रस्तुति देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसी क्रम में अनुराधा पौडवाल ने पायो जी मैने रामरतन धन पायो…की प्रस्तुति देकर सभी को निहाल कर दिया। गायक शंकर महादेवन ने श्रीराम की स्तुति श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन हरण भय भव दारुणम्…की प्रस्तुति देकर सभी को आनंदित कर दिया। समारोह में मौजूद मेहमान भी श्रीराम की स्तुति से भक्तिभाव में डूब गए। इनके अलावा पखावज, वीणा, संतूर, असम का नगाड़ा, दिल्ली की शहनाई, मृदंग आदि वाद्य यंत्रों के वादन से रामजन्मभूमि परिसर दो घंटे तक गूंजता रहा।