स्वस्थ जीवनशैली के लिए लोग कई तरह के वर्कआउट ट्रेंड अपनाते हैं। फिट रहने के लिए लोग विभिन्न तरह के मानकों और नुस्खों को भी फॉलो करते हैं। जैसे, तीव्र वर्कआउट के बाद बर्फ लगाना ताकि चोट के खतरे से बचे रहें। इसके अलावा कई लोगों को लगता है ज्यादा समय तक दौड़ने से घुटने खराब हो जाते हैं। अमूमन लोग इन फिटनेस फंडों को सही मानते हैं। लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स की राय अलग है। न्यूयॉर्क के लीमैन कॉलेज में एक्सरसाइज साइंस के प्रोफेसर ब्रैड स्कोनफेल्ड कहते हैं, फिटनेस की दुनिया गलतफहमियों से भरी हुई है, इसके लिए जिम्मेदार हैं सोशल मीडिया के फिटनेस इंफ्लुएंसर और अपरिपक्व जिम ट्रेनर्स, जो लोगों में Fitness Myth पैदा कर रहे हैं। ऐसे में जानते हैं फिटनेस और वर्कआउट से जुड़े प्रमुख मिथकों के बारे में…
Myth 1 – ज्यादा देर तक दौड़ने से घुटने खराब हो जाते हैं
ऐसी धारणा है कि दौड़ने से ऑस्टियोआर्थराइटिस होता है। यानी जोड़ों में गठिया। लेकिन डॉ. गोल्डमैन कहते हैं ‘सालों तक विशेषज्ञ मानते थे कि हमारे घुटने कार के टायर की तरह हैं। आप ज्यादा कार चलाते हैं तो टायर खराब हो जाएंगे। लेकिन यह गलत है। दरअसल हमारा शरीर गतिशील होता है और हमारे जोड़ खुद को पुनर्जीवित कर सकते हैं, खासकर तब जब हम नियमित रूप से सक्रिय होते हैं।’ इसलिए ज्यादा समय तक दौड़ने से घुटने खराब नहीं होते हैं।
Myth 2 – स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन 10 हजार कदम आवश्यक
यह मिथक 1960 से चला आ रहा है, जब एक जापानी घड़ी निर्माता ने बड़े पैमाने पर एक पेडोमीटर का उत्पादन किया था। उस पेडोमीटर का नाम ’10 हजार कदम मीटर’ था। इसके बाद यह मिथक तेजी से फैला । लेकिन अमेरिकन काउंसिल ऑन एक्सरसाइज के अध्यक्ष सेड्रिक ब्रायंट एक साल पहले ही इसे गलत साबित कर चुके हैं। वे कहते हैं दिन में लगातार 4 हजार कदम चलना भी काफी है, लेकिन जरूरी है विभिन्न तरह की वॉकिंग को अपनाते रहना। 10 हजार कदम जादुई नंबर नहीं है।
Myth 3 – कसरत के बाद बर्फ की सिंकाई से बेहतर रिकवरी होती है
कठिन कसरत के बाद बर्फीले टब में उतरना चोट से सुरक्षा की तरह महसूस हो सकता है, क्योंकि यह सूजन को कम करने में मदद करता है। लेकिन इसमें एक समस्या है। डॉ. गोल्डमैन कहते हैं, ‘ यदि आप प्रत्येक कसरत के बाद बर्फ से सिंकाई करते हैं, तो आप शरीर की मरम्मत प्रक्रिया को धीमा या बंद कर देते हैं। दरअसल जब बॉडी खुद किसी सूजन की मरम्मत करती है तो इससे शरीर की क्षमता भी बढ़ती है। या अगर सिंकाई करनी है तो एक्सरसाइज के अगले दिन करें।
Myth 4 – मसल्स बनाने के लिए भारी वजन उठाना आवश्यक जो लोग नियमित रूप से जिम जाते हैं उनमें यह धारणा पिर्मित हो जाती है कि मसल्स के लिए भारी वजन उठाना जरूरी है। लेकिन मांसपेशियों की वृद्धि का अध्ययन करने वाले डॉ. ब्रैड स्कोनफेल्ड कहते हैं, ‘कई शोध बताते हैं कि चाहे आप 30 किलोग्राम जैसे भारी वजन उठाएं या पांच से 12 किलो के हल्के वजन उठाएं, मांसपेशियों और ताकत के निर्माण में दोनों बराबर ही प्रभावी हैं। यह व्यक्तिगत पसंद का मामला होता है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार सेहत से जुड़ी इन प्रचलित बातों में पूरी तरह सच्चाई नहीं है !