Cyclone Montha ने मचाई तबाही: Andhra Pradesh से टकराने के बाद Odisha पहुंचा तूफान, तेज हवाओं और बारिश से जनजीवन प्रभावित

चक्रवात मोन्था (Montha) ने आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय इलाकों में भारी तबाही मचा दी है। मंगलवार रात यह तूफान आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम तट से टकराया और बुधवार सुबह ओडिशा के गंजम जिले के गोपालपुर बीच तक पहुंच गया। बंगाल की खाड़ी से उठा यह तूफान अब भी कमजोर नहीं पड़ा है, और दोनों राज्यों में तेज हवाएं (80–110 kmph) और भारी बारिश जारी है।

ओडिशा में मोन्था का असर

ओडिशा के गंजम, गजपति, रायगढ़ा, कोरापुट, मलकानगिरी, कंधमाल, कालाहांडी और नबरंगपुर जिले चक्रवात की चपेट में हैं।
गोपालपुर और पुरी बीच पर समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठ रही हैं, जिससे समुद्र किनारे रह रहे लोगों के घरों को नुकसान हुआ है। कई जगहों पर समुद्र की लहरों ने तट की जमीन काट दी और पानी घरों तक पहुंच गया।

राज्य सरकार ने सतर्कता बरतते हुए अब तक 11 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया है।
2,048 राहत केंद्र (Relief Centres) खोले गए हैं, जहां लोगों को खाना और रहने की सुविधा दी जा रही है।
ODRF की 30 टीम और NDRF की 5 टीम मौके पर तैनात हैं।

मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने बताया कि सरकार पूरी तरह तैयार है और राहत कार्य तेजी से जारी है। उन्होंने कहा, “मोन्था से ओडिशा में किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन तटीय इलाकों में सतर्कता रखी जा रही है।”

आंध्र प्रदेश में भारी नुकसान

मंगलवार शाम करीब 7:30 बजे से रात 1 बजे तक (लगभग 5.30 घंटे) तक चला लैंडफॉल प्रोसेस राज्य के कई जिलों में नुकसान छोड़ गया।
मछलीपट्टनम, कोनासीमा और गुंटूर जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

  • 43,000 हेक्टेयर से ज्यादा फसलें पानी में डूब गई हैं।
  • 83,000 से ज्यादा किसान प्रभावित हुए हैं।
  • सबसे ज्यादा नुकसान धान और कपास की फसलों को हुआ है।
  • पेड़ और बिजली के खंभे गिरने से कई जगहों पर बिजली सप्लाई ठप है।

कोनासीमा जिले में एक घर पर पेड़ गिरने से एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई, जबकि दो लोग घायल हुए हैं।
NDRF और प्रशासनिक टीमें लगातार सड़कों से पेड़ हटा रही हैं और बिजली व्यवस्था बहाल करने में जुटी हैं।

तेलंगाना, तमिलनाडु और बंगाल में भी असर

तेलंगाना में मौसम अचानक बदल गया है। हैदराबाद समेत कई जिलों में आज भारी बारिश की संभावना जताई गई है।
तमिलनाडु के चेन्नई, रानीपेट, तिरुवल्लूर और कांचीपुरम जिलों में भी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।
वहीं पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और 24 परगना जैसे जिलों में 31 अक्टूबर तक भारी बारिश और भूस्खलन (landslide) की चेतावनी दी गई है।

राहत और बचाव कार्य जारी

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने चक्रवात से निपटने के लिए 45 टीमें तैनात की हैं।
इनमें से 10 आंध्र प्रदेश, 6 ओडिशा, 3-3 तमिलनाडु और तेलंगाना, 2 छत्तीसगढ़ और 1 पुडुचेरी में हैं।
20 अतिरिक्त टीमों को स्टैंडबाय पर रखा गया है।

ओडिशा सरकार ने गर्भवती महिलाओं के लिए भी खास इंतजाम किए हैं।
मलकानगिरी जिले में जिन महिलाओं की डिलीवरी अगले 15 दिनों में होनी है, उन्हें सुरक्षित “मां गृह” (जन्म प्रतीक्षा गृह) में रखा गया है ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत इलाज मिल सके।

मोन्था पर लगातार नजर

IMD (भारतीय मौसम विभाग) के अनुसार, चक्रवात मोन्था पर लगातार नजर रखी जा रही है।
डॉपलर वेदर रडार (DWR) मछलीपट्टनम और विशाखापट्टनम में लगाए गए हैं।
सैटेलाइट और वेदर स्टेशनों से भी हर पल अपडेट लिया जा रहा है।

IMD के मुताबिक, लैंडफॉल के बाद भी अगले 6 घंटे तक तूफान की तीव्रता बनी रहेगी, और बारिश का असर 30 अक्टूबर तक दक्षिण ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में देखने को मिलेगा।

केंद्र और राज्य सरकार की निगरानी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से बात कर हालात का जायजा लिया है।
केंद्र ने सभी प्रभावित राज्यों को हर संभव मदद देने का भरोसा दिया है।

मोन्था का रास्ता (Path of Montha)

बंगाल की खाड़ी के मध्य-पश्चिम हिस्से से उठकर
→ आंध्र प्रदेश (काकीनाडा-मछलीपट्टनम)
→ ओडिशा (गोपालपुर, गंजम)
→ अब यह धीरे-धीरे छत्तीसगढ़ और झारखंड की ओर बढ़ रहा है।

अब तक की स्थिति एक नजर में

पहलूजानकारी
तूफान का नाममोन्था (Montha)
प्रभावित राज्यआंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल
हवा की रफ्तार80–110 kmph
प्रभावित किसान83,000+
फसल नुकसान43,000 हेक्टेयर (धान और कपास)
निकाले गए लोग11,000+
राहत केंद्र2,048
राहत टीमेंNDRF + ODRF = 50+ टीमें
मौतें1 (आंध्र प्रदेश)
घायल2
अवधिलैंडफॉल 5.30 घंटे तक चला
असर30 अक्टूबर तक बारिश का अनुमान

चक्रवात मोन्था ने आंध्र प्रदेश और ओडिशा में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई इलाकों में बिजली बंद है, फसलें नष्ट हो गई हैं और राहत कार्य तेजी से जारी हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि ओडिशा में अब तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है और प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।

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