कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ का कल मणिपुर से शुभारंभ होने जा रहा है। उससे पहले पार्टी ने कहा कि यह एक चुनावी नहीं बल्कि वैचारिक यात्रा है। विपक्षी पार्टी ने शनिवार को कहा कि यह यात्रा नरेंद्र मोदी सरकार के दस साल के ‘अन्याय काल’ के खिलाफ निकाली जा रही है।
‘अमृत काल के सुनहरे सपने दिखाते हैं प्रधानमंत्री’
इसको लेकर कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने आज मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह, पार्टी के प्रदेश प्रमुख केशम मेघचंद्र सिंह और कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य गैखंम के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री अमृत काल के सुनहरे सपने दिखाते हैं। लेकिन, बीते दस वर्षों की हकीकत क्या है। अमृत काल के बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं। लेकिन, अन्याय काल का कोई जिक्र नहीं किया जाता है।
‘विचारधारा देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती’
रमेश ने कहा कि देश एक ऐसी विचारधारा का सामना कर रहा है, जो ध्रुवीकरण, आर्थिक असमानता और राजनीतिक अधिनायकवाद में भरोसा करती है। उन्होंने इसे राष्ट्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा बीते दस वर्षों में हुए राजनीतिक, आर्थिक और सामान्य अन्याय को ध्यान में रखकर निकाली जा रही है। उन्होंने कहा कि यह एक सियासी पार्टी की यात्रा है। यह एक वैचारिक यात्रा है, लेकिन चुनावी यात्री नहीं।
100 लोकसभा क्षेत्रों से गुजरेगी यात्रा
यह यात्रा देश के पंद्रह राज्यों से गुजरेगी। जिनमें सौ लोकसभा क्षेत्र कवर होंगे। पार्टी का मानना है कि यह सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से कश्मीर तक चली भारत जोड़ो यात्रा की तरह परिवर्तनकारी साबित होगी। कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने उसे संसद में जनता के मुद्दों को उठाने का मौका नहीं दिया। इसलिए, वह मणिपुर से मुंबई तक की यह यात्रा निकाल रही है। उसका कहना है कि इस यात्रा का मकसद संविधान में निहित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों को फिर से बहाल करना है।
यात्रा के लिए क्यों चुना दूसरा स्थान
इस यात्रा को मणिपुर के थौबल जिले के मैदान में हरी झंडी दिखाई जाएगी। इससे पहले इंफाल के पैलेस मैदान की ओर से शर्तों के साथ कांग्रेस को यात्रा को हरी झंडी दिखाने की मंजूरी दी गई थी। पार्टी से लोगों की संख्या को सीमित करने के लिए कहा गया था। इसलिए, कांग्रेस ने दूसरे स्थान को चुनने का फैसला लिया। यह यात्रा 6,713 किलोमीटर की दूरी बस में तय करेगी। लेकिन पैदल भी चलेगी। यात्रा 67 दिनों में 110 जिलों, सौ लोकसभा क्षेत्रों और 337 विधानसभा सीटों से होकर गुजरेगी। इसके बाद 20 या 21 मार्च को मुंबई में इसका समापन होगा।