विजीलेंस ब्यूरो की तरफ से पंजाब राज्य फार्मेसी कौंसिल (पी.एस.पी.सी.) के रजिस्ट्रारों व कर्मचारियों की मिलीभुगत से अयोग्य छात्रों को दाखिला देने व डी-फार्मेसी की फर्जी डिग्रियां जारी करने के आरोप में गिरफ्तार किए आदेश मेडिकल कालेज बठिंडा के एम.डी. डाक्टर गुरप्रीत सिंह गिल की रेगुलर जमानत पटीशन मानयोग कोर्ट की तरफ से रद्द कर दी गई। आरोपी गिल की तरफ से लुधियाना के अडीशनल जिला व सैशन जज की कोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई गई थी। जिस पर मानयोग कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया है।
गौर है कि विजीलैंस ब्यूरो द्वारा दाखि़ले, रजिस्ट्रेशन में अनियमितताएं करने और प्राइवेट कॉलेजों में पढ़ रहे अयोग्य विद्यार्थियों को डी-फार्मेसी के लाइसेंस जारी करने के आरोप अधीन पी.एस.पी.सी. के पूर्व रजिस्ट्रारों और अधिकारियों के विरुद्ध विजीलैंस ब्यूरो के थाना लुधियाना में आपराधिक मुकद्दमा दर्ज किया गया था। लंबी जांच प्रक्रिया के बाद ही ममला दर्ज किया गया है। जिसमें दो रजिस्ट्रारों व एक सुपरिटैंडैंट को गिरफ्तार करने के साथ-साथ, 9 फर्जी डिग्री धारकों के अलावा चार कालेजों के लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें आदेश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च बठिंडा के डाक्टर गुरप्रीत सिंह गिल और प्रिंसिपल सरबजीत सिंह बराड़, साल 2013 में बरनाला जिले के लाला लाजपत राय कॉलेज, सहणा में बतौर प्रिंसिपल रहे आर.एस. रामाकोड़ी और 2011 में लाला लाजपत कॉलेज ऑफ फार्मेसी मोगा के प्रिंसिपल रहे बलजिन्दर सिंह बाजवा शामिल हैं।