सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी की बर्खास्तगी के मामले पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल बिना मुख्यमंत्री की सिफारिश के मंत्री को बर्खास्त नहीं कर सकता। हम इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले से सहमत हैं। अनुच्छेद 136 के तहत इस फैसले में किसी भी दखल की जरूरत नहीं है।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें बालाजी को मंत्री पद से हटाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
इससे पहले चेन्नई के सामाजिक कार्यकर्ता एमएल रवि ने मद्रास हाईकोर्ट में यह याचिका दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। तब कोर्ट ने कहा था- मुख्यमंत्री यह तय कर सकते हैं कि मंत्री बालाजी को राज्य मंत्रिमंडल में रखा जाना चाहिए या नहीं। हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी गई थी।
वी सेंथिल बालाजी साल 2011 और 2015 के बीच अन्नाद्रमुक के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार में परिवहन मंत्री थे। आरोप है कि अपने कार्यकाल के दौरान वे नौकरी के बदले नकदी घोटाले में शामिल थे। बाद में वे द्रमुक में शामिल हो गए और 2021 में मंत्री बने।
14 जून को बालाजी गिरफ्तार हुए थे
तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी को 14 जून को ED ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। उधर, राज्यपाल आरएन रवि ने 29 जून 2023 को जेल में बंद वी सेंथिल बालाजी को तत्काल प्रभाव से मंत्रिपरिषद से बर्खास्त कर दिया था।
राज्यपाल ने सेंथिल को बर्खास्त करने के लिए CM एमके स्टालिन से भी राय-मशविरा नहीं किया। राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ स्टालिन ने कहा था- हम राज्यपाल के फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे। राज्यपाल को मंत्री को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।
DMK नेता बोले- राज्यपाल के पास संवैधानिक अधिकार है?
DMK नेता सरवनन अन्नादुरई ने चेन्नई में कहा कि सेंथिल बालाजी को बर्खास्त करने वाले राज्यपाल कौन होते हैं, क्या उनके पास संवैधानिक अधिकार है? वह सनातन धर्म के अनुसार कार्य कर रहे हैं लेकिन सनातन धर्म हमारे देश का कानून नहीं है।
हमारा संविधान हमारी बाइबिल, गीता, कुरान है। हम उनसे अनुरोध करते हैं कि वे संविधान को ठीक से पढ़ें। उनके पास अधिकार नहीं है, वह अपने आकाओं को खुश करने के लिए इस तरीके से काम कर रहे हैं।