कारों का शोंक तो हर कोई रखता है | हर व्यक्ति लम्बी कारों में घूमना पसंद करता है | बैटरी वाली कारों का दौर शुरू हो गया है, लेकिन डीज़ल और पेट्रोल की कारों से महँगी है ये बैटरी वाली कार | इसी कारण लोक एलेक्ट्रॉनिक कारे खरीदने से पहले लम्बा सोचते है | इन कारों का महँगा होने के कारन इनकी बेटरी है |
बता दे की इन बैटरियों में लिथियम का इस्तमाल किया जाता है लेकिन धरती पर लिथियम की मात्रा सिमित है | इसी कारन लिथियम महँगा है |
लेकिन अब बेटरी समुंद्री नमक से बनाई जाएगी | समुंद्र में सोडिम भरपूर मात्रा में मौजूद होता है | इस लिए इनसे बनी बैटरी सस्ती होगी, लेकिन इनकी वरतो कार और मोबाइल में नहीं की जाएगी | समुंद्री नमक से बैटरी बनाने का विचार नया है | इंजिनयर इसके लिए डिज़ाइन में बदलाव के लिए काम कर रहे है |
चीन की फैक्ट्रियों में इस पर काम शुरू हो गया है. चूँकि दुनिया में बैटरियों की क्रांति आ गई है, यह पहली बार है कि लिथियम की जगा किसी किसी अन्य तत्व का इस्तमाल किया जा रहा है | लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या इसका वजन है। जहाँ लिथियम के एक परमाणु में 3 प्रोटॉन और 3 न्यूरॉन्स होते हैं, समान क्षमता में सोडियम के एक परमाणु में 11 प्रोटॉन, 12 न्यूट्रॉन और 1 इलेक्ट्रॉन सेल होंगे।
इस वजह से लिथियम क्षमता वाली सोडियम बैटरियां बड़ी और भारी होती हैं |
यही कारण है कि इसका उपयोग मोबाइल और कारों में नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसका उपयोग ग्रिड, घरों, विमानों और ट्रकों में किया जाएगा। इस कारन कारों और मोबाइल के लिए लिथियम की ज्यादा कमी नहीं होगी. हालाँकि, चीनी कार निर्माता कंपनी चेरी अपनी जल्द ही लॉन्च होने वाली कारों में लिथियम बैटरी के साथ कैटल कंपनी की सोडियम बैटरी का भी उपयोग करने जा रही |
चीन ने 2021 से बैटरी के लिए पांच साल की योजना बनाई है। इसमें चीन ऐसे तत्वों पर शोध कर रहा है, जिनसे बैटरी बनाई जा सके। लंदन की एक फर्म बेंचमार्क मिनरल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट है कि वर्तमान में 36 चीनी कंपनियां सोडियम बैटरी बनाने पर काम कर रही हैं। इनमें फ़ुज़ियान स्थित कैसल कंपनी सबसे आगे है।