चंडीगढ़ : सत्र को लेकर निश्चित की गई तीन दिन के सुनिश्चित समय पर नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा खड़े किए गए प्रश्न चिन्ह को लेकर करारा प्रहार करते हुए हरियाणा के विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि जिन लोगों ने हमेशा अपने शासनकाल के दौरान लोकतंत्र को कुचलने का काम किया, लोकतंत्र की मर्यादा को भंग करने का कार्य किया, आज वह समय अवधि को लेकर टिप्पणी कर रहे हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के 10 साल के शासनकाल के दौरान मात्र एक बार ही शीतकालीन सत्र विशेष कारण को लेकर बुलाया गया था।
गुप्ता ने कहा कि 11 घंटे 3 मिनट सदन की कार्रवाई उनके पूरे शासन काल के दौरान रही। जबकि 2014 से लेकर 2022 तक 8 सालों में 21 दिन तक शीतकालीन सत्र चलाया गया है जो कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समय से 7 गुना अधिक है। हमारे समय में 101 घंटे 43 मिनट तथा भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासनकाल के दौरान केवल 11 घंटे ही शीतकालीन सत्र की अवधि रही। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ऐसी टिप्पणी करने से पहले अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है। गुप्ता ने बताया कि कांग्रेस की 10 साल की सरकार के दौरान 126 तथा मार्च 2000 से दिसंबर 2004 तक इनेलो की सरकार के दौरान 66 सीटिंग हुई है जो कि एक 4 घंटे की थी जबकि मुख्यमंत्री हमारे समय 9 सालों में 149 सिटिंग 6 घंटे की हुई। इसलिए समय अवधि कम की बात करने वालों पर कभी मुझे हंसी आती है और कभी हैरानी होती है।
लोकतंत्र को तोड़ने के प्रयास करने वाली देश विरोधी ताकतों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की जरूरत : गुप्ता
लोकसभा की सुरक्षा में हुई सेंधमारी को लेकर हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा है कि लोकतंत्र के मंदिर में जनता की सबसे बड़ी पंचायत में इस प्रकार की घटना बेहद निंदनीय होने के साथ-साथ चिंताजनक भी है। उन्होंने कहा कि देश विरोधी ताकते देश की एकता और अखंडता को तोड़ना चाहती हैं। लोकतंत्र को तोड़ने का यह एक बड़ा प्रयास है। इसमें गहनता से जांच करके इन लोगों के पीछे छुपी ताकतों को सामने लाना होगा और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करके सख्त सजा देनी होगी। बता दें कि हरियाणा में जल्द होने वाले शीतकालीन सत्र को लेकर भी गुप्ता ने साफ किया कि मंगलवार को ही सत्र को लेकर सिक्योरिटी पर हुई बैठक में लंबी चर्चा हुई तथा मजबूत सुरक्षा प्रबंध के निर्देश दिए गए। इस घटना के बाद हमारे प्रयास रहेंगे कि फिर से सिक्योरिटी को लेकर बैठक हो और विशेष प्रयास किए जाएं ताकि किसी प्रकार की आशंका न रहे।