पुणे : राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। सरकार द्वारा किये गये वादों का पालन नहीं किया जा रहा है। एसटी परिवहन निगम के कर्मचारी हड़ताल पर चले गये। उस दौरान हाईकोर्ट द्वारा गठित कमेटी की अनुशंसा के अनुरूप कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। कमेटी ने कर्मचारियों का वेतन 7 से 10 तारीख के बीच देने को कहा था, लेकिन 10 तारीख बीत जाने के बाद भी एसटी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है। इसके चलते सभी कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। कर्मचारियों को नवंबर माह का वेतन नहीं मिलने से उनके परिवारों के सामने यह समस्या खड़ी हो गयी है कि वे घर का खर्च कैसे चलायें। इससे एक बार फिर कर्मचारी एसटी प्रशासन से नाराजगी जता रहे हैं।
वेतन न मिलने से इंटक आक्रामक
कर्मचारियों को उम्मीद थी कि 7 तारीख को वेतन का भुगतान हो जाएगा, लेकिन 10 तारीख तक वेतन का भुगतान नहीं किया गया। कर्मचारियों को वेतन न मिलने पर महाराष्ट्र एसटी वर्कर्स कांग्रेस (आईएनटीसी) आक्रामक हो गई है। एसटी निगम प्रशासन से इंटक से जवाब मांगा जाएगा। निगम में कोई नियमित प्रबंध निदेशक नहीं है। पद पर बने रहने के कारण कर्मचारियों की समस्याएं हल नहीं हो पातीं। इंटक संगठन के महासचिव मुकेश टिगोटे ने मांग की है कि यह पद नियमित रूप से भरा जाना चाहिए।
समिति की सिफ़ारिश क्या थी?
2022 में एसटी निगम के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। इसके बाद कोर्ट ने कर्मचारियों की मांगों को लेकर तीन सदस्यीय कमेटी नियुक्त की। समिति ने कई सिफ़ारिशें कीं। एक महत्वपूर्ण सिफ़ारिश वेतन को लेकर थी। समिति ने कहा था कि परिवहन निगम की वर्तमान वित्तीय स्थिति को देखते हुए कर्मचारियों को समय पर वेतन देना संभव नहीं है। इसके चलते सरकार को अगले पांच साल तक एसटी निगम को अपने बजट से फंड देना चाहिए। साथ ही कर्मचारियों का वेतन 7 से 10 तारीख के बीच किया जाए। एसटी को राज्य सरकार में विलय करने, वेतन में बढ़ोतरी के साथ-साथ महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की मांग को लेकर एसटी कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की थी, लेकिन समिति ने स्पष्ट कर दिया था कि एसटी कर्मचारियों का संविलियन संभव नहीं है। उस वक्त राज्य सरकार ने एसटी कर्मचारियों को वेतन बढ़ोतरी दी थी।