सियासी दलों की पदयात्राओं से गूंजेगा चुनाव का शंखनाद

चंडीगढ़ : राजस्थान सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के तुरंत बाद हरियाणा की सियासत नई अंगड़ाई लेने को आतुर है। यह सियासत एक नए तरह के कलेवर और नई तरह के तजुर्बे के साथ खिलकर खेलने वाली है जिसमें पदयात्राओं के माध्यम से जनता की पल्स टटोलने का काम किया जाएगा।

इस समय हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी की गठबंधन सरकार चल रही है। पहले प्लान में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ आई थी। दूसरे प्लान के लिए हुए चुनावों में सरकार ने अबकी बार 75 पार का नारा जरूर दिया लेकिन वह 40 पार भी नहीं हुई और उसे अपने साथ जेजेपी के 10 विधायकों को लेकर सरकार का गठन करना पड़ा। जेजेपी का भी यह शैशवकाल ही था लेकिन डिप्टी सीएम बनाए गए दुष्यंत चौटाला ने अपनी तालीम और पारिवारिक सियासी माहौल का पूरा लाभ उठाते हुए अपनी योग्यता को साबित किया और एक कामयाब नेता की पहचान बनाई।

फिलहाल, हरियाणा में लोकसभा के चुनाव सिर पर हैं और लोकसभा निपटने के तत्काल बाद में हरियाणा विधानसभा के चुनाव होंगे। ऐसे में सियासी सरगर्मियां तेज होनी स्वाभाविक ही हैं। हरियाणा भाजपा की प्रांतीय इकाई ने चंडीगढ़ में बड़ी बैठक करके अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। भाजपा प्रदेश में विकसित भारत संकल्प यात्रा चलाएगी जिसका आगाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छतीसगढ़ में किया था। इस यात्रा को हर गांव और हर वार्ड तक लेकर जाया जाएगा ताकि जनता के बीच सरकार के कामकाज को बताया जाए और जनता का फीडबैक लिया जाए।

इसी तरह कांग्रेस पार्टी भी राहुल गांधी का संदेश लेकर यात्रा निकाल रही है। कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा के नेतृत्व में इस यात्रा का आगाज किया जाएगा। कुमारी सैलजा ने ऐसे संकेत सिरसा प्रवास के दौरान दिए। इस यात्रा के जरिए प्रदेश में कांग्रेस की मजबूती और जनता की राय जानी जाएगी। हरियाणा में कांग्रेस पार्टी अपने अपर हैंड होने का दावा तो कर ही रही है लेकिन जूतियों में दाल बंटने के कारण उसकी छीछालेदर भी होती रहती है। कांग्रेस की राहुल संदेश यात्रा को कितना जनसमर्थन मिलेगा, यह भी इससे साफ हो जाएगा।

राजस्थान चुनाव से पहले तक इनेलो के वरिष्ठ नेता व विधायक अभय सिंह चौटाला भी प्रदेश में परिवर्तन पदयात्रा चला रहे थे। उन्होंने तमाम 90 विधानसभाओं का भ्रमण किया और अपनी पार्टी की नीतियों और कार्यों के बारे में जनता को अवगत करवाया। साथ ही अभय सिंह चौटाला ने जनता की राय भी जानी। अभय चौटाला यह दावा कई बार कर चुके हैं कि प्रदेश में बदलाव की बयार चल रही है और आने वाले चुनावों के बाद प्रदेश में इनेलो के नेतृत्व वाली सरकार बनेगी।

हरियाणा जैसे छोटे प्रदेश में राजनेता नई पार्टियों का प्रयोग काफी समय से करते आए हैं। पूर्व सांसद डॉ. सुशील इंदौरा ने कई दलों में जाने के बाद आपणी पार्टी के नाम से दल बनाया। इसी प्रकार पूर्व मंत्री एवं विधायक गोपाल कांडा ने हरियाणा लोकहित पार्टी का गठन किया। निर्दलीय विधायक बलराज कुुंडू ने भी हाल ही में अपनी पार्टी बनाई है। इससे इतर समस्त भारतीय पार्टी भी हरियाणा में चली थी। पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे और पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई ने भी हरियाणा जनहित कांग्रेस बनाई। हालांकि इन छोटे-छोटे दलों को कुछ बड़ा हासिल नहीं हुआ और कांग्रेस, बीजेपी और इनेलो ने ही यहां जनाधार बटोरा। अब इन बड़े दलों की सियासी रैलियों से प्रदेश में हलचल तो होगी ही। वह हलचल किसके पक्ष में ज्यादा काम करेगी, यह देखना दिलचस्प होगा। 

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