सरकार ने किन जिन पांच फसलों पर एमएसपी की गारंटी देने की बात कही ?

केंद्र सरकार की कोशिशों के बाद किसान आंदोलन लगातार ठंडा पड़ता जा रहा है. रविवार देर रात केंद्रीय मंत्री पिशु गोयल ने किसान नेताओं से बात करते हुए किसानों को आश्वासन दिया कि पांच साल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दालों की खरीद के लिए सहकारी समितियों एनसीसीएफ और नेफेड के साथ समझौता किया जाएगा। दालों के अलावा भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने कपास की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल के समझौते का प्रस्ताव रखा है। चंडीगढ़ में पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार ने सहकारी समितियों एनसीसीएफ और नाफेड को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दालों की खरीद के लिए किसानों के साथ पांच साल का समझौता करने का प्रस्ताव दिया है।

सरकार ने जिन पांच फसलों पर एमएसपी की गारंटी देने की बात कही है उनमें उड़द, मसर, मक्का, कपास और अरहर शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार दालों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देकर धान किसानों, खासकर पंजाब के किसानों को धान से दालें पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती है. पंजाब में धान की फसल के कारण भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से भूमि की उर्वरता क्षीण हो रही है तथा पर्यावरण विषैला होता जा रहा है। सरकार का इरादा पंजाब में मिट्टी और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए धान की खेती को कम करने और दालों को बढ़ावा देने का है।

सरकार और किसानों के बीच इस बहस में आम आदमी भी शामिल है. आम आदमी का तर्क है कि सरकार ने किसानों से जिन फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की गारंटी दी है, वे पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में आती हैं, तो फिर इसकी गारंटी क्या है?

जानकारी के मुताबिक, अभी तक देश के सिर्फ 10-12 फीसदी किसानों को ही एमएसपी का फायदा मिल रहा है. मक्का और दलहन फसलों को इस दायरे में लाकर सरकार चाहती है कि देश के ज्यादा से ज्यादा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मिले. सरकार फसलों में विविधता लाना चाहती है ताकि हमारी खेती एक या दो फसलों पर आधारित न रहे।

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