हरियाणा की अपनी विरासत -संस्कृति और सम्मान को संजोकर रखने को लेकर शुरू किए गए ”हरियाणा बनाओ अभियान” को लेकर भारत सरकार के पूर्व डिप्टी सेक्रेटरी एवं भूपेंद्र सिंह हुड्डा कार्यकाल में प्रिंसिपल ओएसडी रहे एम एस चोपड़ा ने कहा कि आज हरियाणा का हर नागरिक अपनी राजधानी को अपनी जमीन पर देखना चाहता है। उन्होंने कहा कि जब तक पंजाब हरियाणा बड़े -छोटे भाई की तरह बैठकर बातचीत नहीं करेंगे, अपने विचारों का आदान-प्रदान नहीं करेंगे, तब तक यह संभव नहीं है।
बुद्धिजीवी वर्ग और समाज सेवियों का खुला समर्थन मिलना शुरू हो चुका है। इसी कड़ी में इस अभियान की जरूरत को लेकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि जब हमारा नाम अलग हो चुका है, हमारा घर अलग हो चुका है तो उसे पूरी तौर पर बसाया क्यों नहीं जाना चाहिए ? क्यों हरियाणा की धरती पर ही हरियाणा की राजधानी नहीं होनी चाहिए ? हरियाणा की संस्कृति -प्रतिष्ठा और प्रगति के लिए जो बेहद जरूरी कदम है वह क्यों नहीं उठाना जाना चाहिए ?
विकास की गति को तेजी देने के लिए कई देशों – प्रदेशों ने बनाई है 2-2, 3-3 राजधानियां
चोपड़ा ने कहा कि अपने क्षेत्र के विकास के लिए यह आज की जरूरत है। क्योंकि बहुत से प्रदेशों और देश ने विकास की गति के पहिए को तेज गति देने के लिए अपनी दो-दो राजधानियां भी बना रखी हैं। हरियाणा से 32 साल बाद अलग हुए उत्तराखंड एक उदाहरण है। साउथ अफ्रीका ने अपनी तीन राजधानी बनाई है। इसराइल और ब्राजील ने भी दो-दो बना रखी हैं। ताकि कोई भी क्षेत्र अपने अधिकारों से और विकास से वंचित न रहे। कुछ देश हर 25- 30 साल बाद अपनी राजधानी बदल देता है ताकि सभी को बराबर हक दिया जा सके। चोपड़ा ने कहा कि जो क्षेत्र हर दृष्टि से संतुलित हो, जहां पर्याप्त कनेक्टिविटी हो, जमीन का पानी – हवा और संस्कृति जहां उत्तम हो, हमारे आदरणीय चयनित लोग सांसद- विधायक और समाज के सम्मानित लोग बैठकर जिसे सही माने वहां उस धरती पर हमें हमारी राजधानी दे दें। उन्होंने कहा कि हालांकि चंडीगढ़ भी विदेश में नहीं है, अगर पंजाब वाले भाई अपनी अलग राजधानी बना ले तो चंडीगढ़ हमें दे दो हमें इससे भी कोई एतराज नहीं है। लेकिन हम हमारी मिट्टी और संस्कृति से जुड़ी भूमि का श्रृंगार देखना चाहते हैं।
हरियाणा के अपने लोकगीत को एक अच्छी पहल बताया चोपड़ा ने
चोपड़ा ने कहा कि बहुत से राजनीतिक लोग कहने लगते हैं कि अलग राजधानी मांगने से यूटी पर हक कमजोर होगा, तो क्या अगर कोई व्यक्ति अपना दूसरा घर बना ले तो पहले पर उसका हक नहीं रहता। ऐसा तर्क कतई उचित नहीं है। उन्होंने हरियाणा के अपने लोकगीत की सराहना करते हुए कहा कि यह एक अच्छी पहल है। हमारे राज्य गीत से हमारी पहचान और हमारे गौरव में बढ़ोतरी होगी। हमारे लोगों में एक भावना उत्पन्न होगी। हमारी पुरानी आन -बान और शान को नई दिशा मिलेगी। हमारे स्टार नीरज चोपड़ा- साक्षी मलिक जैसों की उपलब्धियां को देख हम जशन मना पाएंगे। लेकिन चंडीगढ़ में यह जश्न कोई नहीं मनाता। हरियाणा की आवाज -संगीत और संस्कृति पूरी दुनिया देख पाएगी।
हमारे बच्चे विदेश में क्यों जाना चाहते हैं, यह एक गंभीर प्रश्न है : चोपड़ा
उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन भूमि हरियाणा हमेशा भारत की संस्कृति का एक केंद्र रहा है। लेकिन बावजूद इसके हरियाणा का कल्चर इज एग्रीकल्चर कहकर उपहास उड़ाया जाता है, जोकि यह स्थिति कतई ठीक नहीं है। उत्सव और उल्लास वाले प्रदेश में आज उदासीनता और निराशा क्यों है। हरियाणा के युवा नशे की ओर क्यों जा रहे हैं, इस पर सभी को चिंता होनी चाहिए। आखिर हमारे बच्चे विदेश में क्यों जाना चाहते हैं, यह एक गंभीर प्रश्न है। अगर सत्ताधारी लोग इस ओर ध्यान देंगे तो अरबों का निवेश हरियाणा में होगा, जैसा गुड़गांव एक हमारे सामने बड़ा उदाहरण है। लाखों रोजगार पैदा होने से नई संभावनाएं पैदा होगी और हमारे बच्चों में एक नई ऊर्जा आएगी।