मुंबई आतंकी हमले को 15 साल हो गए हैं। उस आतंकी हमले को कौन भूल सकता है जिसने देश-दुनिया को हिलाकर रख दिया था. पाकिस्तान से आए आतंकियों ने सीएसटी रेलवे स्टेशन, होटल ताज समेत कई जगहों पर गोलीबारी कर करीब 166 लोगों की हत्या कर दी थी. इस हमले में 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. इस हमले के जख्म आज भी हरे हैं.
इस हमले को भारत के इतिहास का सबसे भीषण आतंकी हमला कहना गलत नहीं होगा. 26 नवंबर, 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकवादी समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे और कई स्थानों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोग मारे गए। हमले वाले दिन 9 साल की देविका अपने भाई और पिता के साथ पुणे जाने के लिए सीएसटी स्टेशन पर थी, तभी अचानक फायरिंग शुरू हो गई. आतंकियों ने उन्हें भी नहीं बख्शा और फायरिंग कर दी.
– तारीख – 26 नवंबर, 2008… बुधवार को हर दिन की तरह लोग मुंबई की व्यस्त सड़कों पर घूम रहे थे. उधर, मुंबई में आतंकियों के घुसने का सिलसिला भी जारी था. कोलाबा के समुद्रतट पर एक नाव से उतरे 10 आतंकी, छिपे हुए हथियारों से लैस, ये आतंकी कोलाबा की फिशरमैन कॉलोनी से मुंबई में दाखिल हुए और दो गुटों में बंट गए.
– इनमें से दो आतंकी यहूदी गेस्ट हाउस नरीमन हाउस की ओर बढ़े, जबकि दो आतंकी छत्रपति शिवाजी टर्मिनल (सीएसटी) की ओर बढ़े। इसके साथ ही दो आतंकियों की एक टीम होटल ताज महल की ओर बढ़ी और बाकी आतंकी होटल ट्राइडेंट ओबेरॉय की ओर बढ़े. इसके बाद इमरान बाबर और अबू उमर नाम के आतंकी लियोपोल्ड कैफे पहुंचे और रात करीब 9.30 बजे उन्होंने वहां जोरदार धमाका कर दिया, जिसके बाद लोगों में अफरा-तफरी मच गई.
-दूसरी ओर आतंकियों की दूसरी टीम (जिसमें कसाब और अबू इस्माइल खान शामिल थे) सीएसटी पहुंची और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। कुछ ही देर में इन आतंकियों ने 50 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया. आतंकियों की तीसरी टीम होटल ताज महल और चौथी टीम होटल ट्राइडेंट ओबेरॉय पहुंची और यहां भी आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. होटल ताज महल में कम, लेकिन होटल ट्राइडेंट ओबेरॉय में 30 से ज्यादा लोग मरे।
इस हमले में महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे, पुलिस अधिकारी विजय सालस्कर, आईपीएस अशोक कामटे और कांस्टेबल संतोष जाधव आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए। कई घंटों तक चली मुठभेड़ में नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) ने आखिरकार नौ आतंकियों को मार गिराया और 10वें आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया। फिर उनसे पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ |
पाकिस्तान के इन आतंकियों को हाई लेवल ट्रेनिंग दी गई थी। इनका मकसद देश में तबाही मचाना और कंधार अपहरण कांड में शामिल आतंकियों को छुड़ाना था.
-आखिरकार चार साल की न्यायिक प्रक्रिया के बाद 21 नवंबर 2012 को वह पल आया जब आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी दे दी गई। कसाब को पुणे की यरवदा जेल में सुबह 7:30 बजे फांसी दे दी गई.