इन दिनों देश में अयोध्या में राम मंदिर को लेकर खूब चर्चा हो रही है. इस मंदिर की वास्तुकला और नागर शैली की कलाकृति को देखने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आ रहे हैं। इस शैली का एक मंदिर बिहार में पहले से ही मौजूद है। आज हम आपको बिहार के बेगुसराय जिले में स्थित एक ऐसे ही मंदिर की कहानी बता रहे हैं। जिसके बारे में स्थानीय लोगों का दावा है कि नागर शैली में बना बिहार का पहला राम मंदिर सलोना में है. इन दिनों लोगों को मंदिर के इतिहास से अवगत कराया जा रहा है। साथ ही इसकी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। मूर्तिकला की संरचना से लेकर विशेषता तक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 250 साल बाद भी ये मूर्तियां जस की तस खड़ी हैं। यह मंदिर हिमालय और विंध्य पर्वत के बीच भारत की मजबूत सांस्कृतिक विरासत को भी दर्शाता है।
इतिहासकार अंजू झा ने बताया कि इस राम मंदिर की संरचना खजुराहो मंदिर की तर्ज पर नागर शैली में बनी है. विशाल इमारतें और विशाल मंदिर परिसर, दीवारों पर पत्थर की मूर्तियां इस शानदार विरासत का जीवंत प्रमाण हैं। भव्य और ऊंचे प्रवेश द्वार, विशाल द्वार, ऊंचे पत्थर के खंभों पर उकेरी गई गोलाकार और आकर्षक पत्थर की मूर्तियों को देखकर ऐसा लगता है जैसे ये मूर्तियां बस बोलती हैं। हालांकि इस मंदिर और ठाकुरबाड़ी का निर्माण लगभग 250 साल पहले किया गया था, लेकिन मंदिर की छत को छूकर और पत्थर की कलाकृति को देखकर ऐसा महसूस होता है जैसे मूर्तियाँ सचमुच जीवित हैं और अलग-अलग मुद्राओं में बैठकर अपने सुनहरे इतिहास की याद दिला रही हैं।