हिसारः जिले में भारतीय गुणवत्ता परिषद द्वारा शुक्रवार को एक सरपंच संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें जिले भर के सरपंचों ने भाग लिया। भारतीय गुणवत्ता परिषद द्वारा गुणवत्ता वाले गांव बनाने के मक़सद से शुरू किया गया सरपंच संवाद का सकारात्मक असर जल्द हरियाणा में देखने को मिलेगा।
भारतीय गुणवत्ता परिषद के रिसोर्स पर्शन के तौर पर प्रोफ़ेसर सुनील जागलान पूर्व सरपंच बीबीपुर ज़िला जींद ने क्वॉलिटी विलेज के तौर पर बीबीपुर मॉडल ऑफ विमेन एम्पॉवरमेंट एंड विलेज डवलेपमेंट को सरपंचों को समझाया कि किस तरह वो भी अपने साधारण गांव को अन्तर्राष्ट्रीय ब्रांड गांव बना सकते हैं।
सुनील जागलान ने बताया कि भारतीय गुणवत्ता परिषद के चैयरमैन ज़क्षय शाह का यह सपना है कि हर गांव क्वालिटी विलेज में तबदील हो सके। इसके लिए हम पूरे देश भर में सरपंच संवाद कर रहे हैं। सरपंच संवाद ऐप के माध्यम से कोई भी सरपंच अपने गांव के विकास कार्य को देश भर में पहुंचा सकता है। सरपंच संवाद ऐप का लक्ष्य एक डिजिटल नेटवर्क बनाना और पूरे भारत में लगभग 2.5 लाख सरपंचों को जोड़ना है, जो नेटवर्किंग, ज्ञान के प्रसार एवं सहयोग के लिए एक विशेष और सुविधाजनक एकल मंच प्रदान करता है। एप्लिकेशन सरपंचों को सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, गांवों में किए गए विकास कार्यों को प्रदर्शित करने, सरपंचों की रुचियों एवं जरूरतों के अनुरूप सामग्री की खोज करने, सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने, प्रशिक्षण मॉड्यूल से सीखने और विशेषज्ञों से सुझाव लेने में सहायता प्रदान करेगा।
सरपंच संजय गांव कुवांरी ने कहा कि सरपंच संवाद हमारे गांवों के विकास व उनकी गुणवत्ता के लिए महत्वपूर्ण कदम है। हम पिछले लंबे समय से सुनील जागलान के बीबीपुर मॉडल के बारे में लगातार सुन रहे हैं। हमें भी अपने गांवों में बीबीपुर मॉडल के द्वारा क्वॉलिटी विलेज बनाना चाहिए।
सरपंच सुनीता भ्याण गॉंव सरसौद ने कहा कि भारतीय गुणवत्ता परिषद का यह कदम सरपंच की कार्यशैली में बदलाव के लिए बहुत सकारात्मक कदम है। भारतीय गुणवत्ता परिषद की दीपाली ने कहा कि हरियाणा के गांवों के लिए सरपंच संवाद बहुत ज़्यादा ज़रूरी है, क्योंकि इससे उन्हें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी। हिसार जिले में क्वॉलिटी विलेज की तरफ़ पंचायत को लेकर जाने वाले सरपंचों को भारतीय गुणवत्ता परिषद की तरफ़ से सम्मानित भी किया गया।
भारतीय गुणवत्ता परिषद् (क्यूसीआई) की स्थापना भारत सरकार द्वारा फरवरी 1996 में एक कैबिनेट निर्णय के बाद, भारतीय उद्योग क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन प्रमुख संघों (फिक्की, सीआईआई और एसोचैम) के सहयोग से राष्ट्रीय प्रत्यायन के लिए एक संरचना बनाने हेतु की गई। इसका गठन पीपीपी मॉडल पर एक स्वायत्त निकाय के रूप में किया गया है।