छात्रों के आतमहतिया के चलते कोचिंग सेंटर को जिमेवार ठहराया गया और उसे बंद करवाने को कहा | लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ इंकार कर दिया | बता दे की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कोटा कोचिंग संस्थानों पर प्रतिबंध लगाने से साफ इनकार कर दिया है और अभिभावकों पर भी सख्ती की है.
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजस्थान के कोटा में छात्रों की बढ़ती आत्महत्या के लिए कोचिंग संस्थानों को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है, क्योंकि माता-पिता की उम्मीदें भी बच्चों को अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए मजबूर कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चे अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं, जिसके कारण वे आत्महत्या कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा है कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा और उनके माता-पिता का दबाव आत्महत्या के मामलों की बढ़ती संख्या का कारण है। कोटा में इस साल अब तक 24 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं.
कोर्ट ने कहा है कि हममें से ज्यादातर लोग कोचिंग संस्थानों को पसंद नहीं करेंगे. आजकल परीक्षाएं इतनी प्रतिस्पर्धात्मक हो गई हैं और माता-पिता को अपने बच्चों से इतनी उम्मीदें होती हैं कि वे उन पर खरे नहीं उतरते। प्रतियोगी परीक्षाओं में बच्चे आधे या एक अंक से फेल हो जाते हैं।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली दो न्यायाधीशों की पीठ ने कोटा में निजी कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने और उनके लिए न्यूनतम मानक तय करने के लिए कानून बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समस्या अभिभावकों से है, कोचिंग संस्थानों से नहीं.