कर्नाटक में अपराध थमने का नाम ही नहीं ले रहा | लगतार महिलों पर हमला होता ही जा रहा है | हाल ही में एक 42 वर्षीय महिला को पहले तो पीटा गया फिर उसे नगा घुमाया गया | इतना ही नहीं उस महिला को खंभे के साथ बंधा गया क्योंकि उसका बेटा किसी दूसरी लड़की के साथ भाग गया था.
अब कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आज बेलगावी में एक महिला पर हमले के मामले की सुनवाई करते हुए महाभारत की पौराणिक चरित्र द्रौपदी का हवाला दिया| हाई कोर्ट ने घटना पर निराशा जताते हुए कहा, ‘वहां बहुत सारे दर्शक थे, लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया.’ यह सामूहिक कायरता है जिसे संबोधित करने की आवश्यकता है। पुलिस ब्रिटिश साम्राज्य की नहीं है.” कोर्ट ने ऐसे अत्याचारों को रोकने के लिए सामूहिक जिम्मेदारी की जरूरत पर जोर दिया. चीफ जस्टिस ने मौजूदा दौर को ‘दुर्योधन और दुशासन का युग’ करार दिया. कहा महाभारत के उन पात्रों की ओर संकेत जो अन्याय और बुराई के प्रतीक हैं। अदालत ने कार्रवाई का आग्रह करते हुए एक कविता पढ़ी: “सुनो द्रौपदी! हथियार उठा लो, अब गोविंदा नहीं आएंगे.”
ऐतिहासिक मिसाल के साथ समानताएं बनाते हुए, अदालत ने भारत के पूर्व गवर्नर-जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक के समय की एक घटना का जिक्र किया, जहां एक अपराध के लिए पूरे गांव को भुगतान करना पड़ा था।
इस घटना का जिम्मेदार गांव के सभी लोगो को बताया गया | क्यूंकि वह मूक दर्शक बनकर ऐसे रोकने की कोशिश नहीं की गयी | हाई कोर्ट ने आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) को घटना की जांच करने का निर्देश दिया है.