बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, महिलाओं, बुजुर्गों और व्यापारियों के लिए कुछ नहीं: डॉ. सुशील गुप्ता

आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता ने बजट को हर वर्ग के लिए निराशाजनक बताया। उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट में किसी वर्ग को कुछ नहीं दिया। ये बजट के नाम पर केवल खानापूर्ति है। बजट में न बच्चों की शिक्षा के लिए, न स्वास्थ्य के लिए, न महिलाओं के लिए, न बुजुर्गों के लिए और न व्यापारियों के लिए कुछ है। बजट में आम जनता की अनदेखी की गई है और भाजपा सरकार द्वारा केवल उद्योगपति दोस्तों को खुश करने की कोशिश की गई है।

उन्होंने कहा कि बजट में हरियाणा के साथ सौतेला व्यवहार हुआ है। हरियाणा के लिए कोई विशेष पैकेज की घोषणा नहीं की गई और न ही हरियाणा में कोई नई यूनिवर्सिटी की घोषणा की गई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी और कानून बनाने की बात कही थी। लेकिन बजट में एमएसपी पर कोई प्रावधान नहीं रखा गया। भाजपा सरकार में किसान परेशान है और कर्ज के नीचे दब गया है। भाजपा ने 2023 तक किसानों की आय डबल करने की बात कही थी, लेकिन आय डबल नहीं हुई कर्ज डबल हो गया है।

उन्होंने कहा प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि इनकम टैक्स 10 गुना इकट्ठा हो गया है, लेकिन गरीबों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया। बजट में न एजुकेशन के लिए कोई प्रावधान है और न स्वास्थ्य सेवाओं के लिए। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी, लेकिन इस बजट में रोजगार के लिए कोई प्रोविजन ही नहीं आया। राज्यों को कर्ज मुक्त करने का झूठा वादा किया गया है। ऐसा वादा पिछले साल भी किया गया था, लेकिन हरियाणा पर अभी भी 4 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि गरीबों को मकान देंगे, लेकिन केंद्र सरकार ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दो बार हरियाणा सरकार की मांग ठुकरा चुकी है।

उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना पर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, लेकिन फसल बीमा के तहत किसी को भी बीमा राशि नहीं मिलती। कंपनियों ने हरियाणा में बीमा करना ही बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह बजट किसानों, युवाओं, महिलाओं, व्यापारियों के लिए नहीं है। इनकम टैक्स स्लैब बढ़ाने की बात आनी चाहिए थी, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को राहत मिल सके। इसमें महिला आरक्षण के लिए कोई खास प्रावधान नहीं किया गया। भाजपा सरकार ने चुनाव के समय अपने मेनिफेस्टो में नौकरियां देने की बात कही थी, सरकार तब से लेकर आज तक नौकरियों का प्रावधान नहीं कर पाई। वहीं किसान लंबे समय तक सड़कों पर आंदोलनरत रहे, 700 से ज्यादा किसानों ने शहादत दी तब जाकर प्रधानमंत्री के मुंह से एमएसपी की बात निकली थी कि एमएसपी पर कानून बनाएंगे। लेकिन पूरे बजट में एमएसपी पर कोई बात नहीं की गई। मुझे ऐसा लगता था कि बजट के अंदर उचित प्रावधान होगा, लेकिन इस बजट के अंदर ऐसा कुछ भी नहीं किया गया।

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