कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा ओबीसी-एससी की पैरवी के बीच भारतीय जनता पार्टी ने जो दांव संगठन में सोशल इंजीनियरिंग से चला है, उससे विपक्षी दल चारों खाने चित हो गए हैं। बीजेपी ने ऐसा जातीय संतुलन साधा है कि कोई भी इसमें अपने आपको वंचित नहीं कह सकता। इससे पूर्व पार्टी ने नायब सिंह सैनी को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपकर ओबीसी को साधने का पूरा प्रयास किया था। नए साल की शुरूआत में ही प्रदेशाध्यक्ष नायब सिंह सैनी ने अपनी प्रदेश स्तरीय टीम की घोषणा कर दी है। इसी साल लोकसभा और विधानसभा के चुनाव भी प्रदेश में होने हैं। ऐसे में टीम भी उसी तरह से सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर बनी है। टीम में बेशक सोशल इंजीनियरिंग का पूरा ख्याल रखा गया है परंतु इसके साथ ही यह भी हुआ है कि टीम में तकरीबन 79 प्रतिशत पदों पर नॉन जाट चेहरों को स्थान दिया गया है। नॉन जाट में हर वर्ग को प्रतिनिधित्व मिला है।
टीम नायब सैनी में 50 प्रतिशत जिलाध्यक्ष बदल दिए गए हैं। नए संगठन में मोहन लाल बड़ौली को फिर से महामंत्री का पद मिला है तो दूसरे महामंत्री वेदपाल को पदोन्नति देकर प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है। पहलेे महामंत्री रहे पवन सैनी को हटा दिया गया है। यह शायद इसलिए किया गया है क्योंकि प्रदेशाध्यक्ष स्वयं सैनी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। पहले उपाध्यक्ष रही कविता जैन को भी नए संगठन में स्थान नहीं मिला। तीन महामंत्रियों में एक महिला डॉ. अर्चना गुप्ता को स्थान मिला है। सुरेंद्र पूनिया को महामंत्री बनाया गया है।
पार्टी संगठन में पंचकूला, पानीपत, अंबाला, सोनीपत, फरीदाबाद, हिसार, सिरसा, झज्जर, भिवानी, गुरूग्राम और चरखी दादरी के जिलाध्यक्ष बदल दिए गए हैं। सिरसा की पूर्व महिला जिलाध्यक्ष को पदोन्नत करते हुए पार्टी जिलाध्यक्ष बनाया गया है। ज्ञातव्य हो कि सिरसा की जिलाध्यक्ष निताशा सिहाग जाट समुदाय से ताल्लुक रखती हैं और उसी सिहाग गौत्र में विवाहित हैं जिस गौत्र के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला हैं। बेशक यह महज संयोग कहा जाए लेकिन कहीं न कहीं जाट मतदाताओं में पार्टी की पहुंच के लिए यह महत्वपूर्ण अवश्य है।
प्रदेश उपाध्यक्षों की लिस्ट में वेदपाल एडवोकेट, पूर्व मंत्री विपुल गोयल, राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार, पूर्व सांसद दिवंगत रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया, संतोष यादव, जीएल शर्मा व सतीश नांदल शामिल हैं। प्रदेश महामंत्री के रूप में पूर्व की भांति फणींद्रनाथ शर्मा काम करते रहेंगे। उनको रविंद्र राजू की जगह नियुक्ति दी गई है। पार्टी के प्रदेश सचिव सुरेंद्र आर्य को फिर से इसी पद पर बरकरार रखा गया है। सुरेंद्र आर्य आरएसएस से पुराने जुड़े हुए हैं और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के खास माने जाते हैं। रेणु डाबला भी प्रदेश सचिव के तौर पर बनी रहेंगी। कैप्टन भूपेंद्र सिंह, गार्गी कक्कड़, राहुल राणा, नसीम अहमद व उमेश शर्मा की नई नियुक्ति है। सुरेंद्र आर्य ओबीसी, रेणु डाबला एससी, गार्गी कक्कड़ पंजाबी, नसीम अहमद मुस्लिम और उमेश शर्मा ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।
अजय बंसल को प्रदेश कोषाध्यक्ष बनाया गया है व वीरेंद्र गर्ग पहले की भांति सह कोषाध्यक्ष के दायित्व का निर्वहन करते रहेंगे। दोनों वैश्य समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। गुलशन भाटिया कार्यालय सचिव के तौर पर अपना दायित्व निभाएंगे। भूपेंद्र खुराना को उनके साथ जोड़ा गया है जो दोनों पंजाबी समुदाय से आते हैं। सोशल मीडिया के लिए अरुण यादव को प्रदेश प्रमुख नियुक्त किया गया है जो ओबीसी से संबंधित हैं।
प्रदेश में इसी साल लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होने हैं जो दो योजना सरकार चला चुकी बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण हैं। ऐसे में संगठन के जरिए वह इस चुनौती से पार पाने की कवायद में है और जिस ढंग से हर वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया गया है, उससे साफ जाहिर है कि चुनाव को लेकर पार्टी पूरी तरह से गंभीर है। सरकार द्वारा लगातार की जा रही घोषणाओं से जनता एक बार फिर बीजेपी संगठन से जुड़ऩे लगी है और अब संगठन में जातीय संतुलन साधकर उसने यह साफ कर दिया है कि जिस बीजेपी को ब्राह्मण-बनियों की पार्टी कहा जाता था, उसमें अब सभी वर्गों की शमूलियत हो गई है। यह सोशल इंजीनियरिंग कहीं न कहीं बीजेपी को लाभ अवश्य प्रदान करेगी।