चंडीगढ़ : हरियाणा की राजनीति लगातार लगभग एक से मिलते जुलते, एक से पढ़े लिखे, और एक सोच के नेताओं के हाथों में रही है। जहां सदा भाई भतीजाबाद और क्षेत्रवाद की भावना नजर आती रही। अपनों को आगे बढ़ाने की जातिवाद की सोच ने प्रदेश को उतनी उन्नति नहीं प्रदान की जितनी आशा की जा सकती थी या जितना हरियाणा हकदार था। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के साथ लगता राज्य या यूं कहें कि दिल्ली को तीन ओर से घेरे हुए हरियाणा में दूसरे राज्यों से कहीं अधिक उन्नति के साधन और विकल्प उपलब्ध थे। लेकिन प्रदेश के राजनेताओं का बहुत अधिक सुशिक्षित न होने का नुकसान परोक्ष रूप से काफी अधिक हुआ है। लेकिन समय अब कहीं करवट लेता भी दिखने लगा है।
प्रदेश के युवा पूर्व के लोगों से कहीं अधिक पढ़े लिखे और जागरूक बन चुके हैं। आधुनिकीकरण के चलते हरियाणा का युवा काफी आगे की सोच रखने लगा है। दूध- दही के खाने वाला और पहलवानों की धरती वाला हरियाणा शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से पहले से ही काफी मजबूत रहा है। अब कुछ विधानसभा क्षेत्रों में पढ़े लिखे युवाओं की मांग बुलंद देखी जाने लगी है और बहुत से संघर्ष शील समाजसेवी जो पूरी तौर पर ब्यूरोक्रेसी के सिस्टम को भी समझते हैं और राजनीति व राजनेताओं को भी, वह आगे आने लगे हैं। ऐसा ही एक दृश्य कैथल की विधानसभा सीट कलायत में बना हुआ है। जहां मैदान में श्वेता ढुल ने दस्तक दी है।
कांग्रेस पार्टी से मौजूदा दौर में ताल्लुक रखने वाली श्वेता का मुकाबला हालांकि पार्टी स्तर पर पूर्व मंत्री जेपी से रहेगा क्योंकि यहां जेपी की टिकट काटना आसान बात कतई नहीं है। अगर टिकट मिला तो फिर मौजूदा राज्य मंत्री कमलेश ढांडा आगामी चुनाव में उनके सामने भाजपा की टिकट पर मैदान में हो सकती है। महिलाओं की टक्कर में जनता किसे कितना भाव देगी, यह कहना तो आसान नहीं होगा, लेकिन रोचक अवश्य होगा।
श्वेता ढुल ने मौजूदा सरकार में कई बड़ी लड़ाइयां खास तौर पर युवाओं के लिए लड़ी है। चाहे वह सीएसएटी क्वालीफाई करने की बात हो, 2015 की भर्ती रद्द रोकने की बात हो, बाहर के अभ्यर्थियों के जेई की परीक्षा में 5 अंक लगने से रोकने की बात हो, आरटीआई में रिसीविंग मिलने की बात हो, नागर कांड के बाद एच सी एस पेपर रद्द होने की बात हो, शिक्षक भर्ती मुद्दे, स्कूल बन्द होने के खिलाफ़ लड़ाई हो, हरियाणा के बच्चों को हरियाणा में जॉब में प्राथमिकता हेतु हरियाणा जी के का पोर्शन बढ़ाने की बात हो, तमाम ऐसी बातों के माध्यम से श्वेता युवाओं के दिलों में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुई है। क्योंकि बहुत से मुद्दों पर सरकार को इन्होंने झुकाया भी है। इसी कारण भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गाँधी जी ने इन्हे फायरब्रांड एक्टिविस्ट का नाम दिया था। बेहद साधारण, गैर राजनैतिक परिवार से संबंध रखने वाली श्वेता पूर्ण तौर पर असाधारण महिला हैं। जिसने कांग्रेस महासचिव व राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला के नेतृत्व में कांग्रेस को ज्वाइन किया।
आज जरूरत भी है कि आम घर के जहां पढ़े लिखे बच्चे ज़्यादातर पुलिस, सेना ग्रुप सी या डी में जाने की सोचते हैं वे सांसद या विधायक बनें। आज जरूरत है कि “अनपढ़ नेताओं वाली पुरानी राजनीति बन्द हो व नये पढ़े लिखे योग्य लोग बढ़ चढ़कर राजनीति का हिस्सा बने। जो जनता के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझें। मातृभूमि के प्रति वफ़ादारी और ज़िम्मेदारी निभाएं। जहां एक और बहुत से अनपढ़ नेता जो अव्वल पॉलिसी बनाने की बात तो दूर उन्हें सही से समझ भी नहीं पाते वह हकीकत में समाज का कितना भला कर सकते हैं यह बात समझनी होगी। समाज को सोच बदलनी होगी और चयन करना होगा कि उनका भला वास्तव में कौन कर सकता है। भर्ती विशेषज्ञ के रूप में अपनी पहचान बन चुकी श्वेता कुछ वर्षों से पूर्ण सक्रिय रूप में मौजूदा सरकार से युवाओं के हक के लिए लड़ रही हैं। स्वयं सिविल सेवा परीक्षा की कैंडिडेट रह चुकी श्वेता एक बार आईएएस व दो बार एच सी एस का इंटरव्यू दे चुकी हैं, इसके साथ ही अरिहंत पब्लिकेशन के लिए किताब लिख चुकी हैं। वह आईएएस की तैयारी कर रहे बच्चों को पढ़ाती भी हैं।