इंटरनैशनल डैस्क: पाकिस्तान में फरवरी 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले अमेरिका की एंट्री हो गई है। पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के पक्ष में हवा को देखते हुए अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लूम ने उनसे जेल में मुलाकात की है। ब्लूम ने यह मुलाकात इस्लामाबाद के पास स्थित रावलपिंडी की अडियाला जेल में की। इस मुलाकात में अमेरिका की तरफ से इमरान खान को सफाई दी है कि उनको सत्ता में से हटाने के पीछे अमेरिका का कोई रोल नहीं था।
अमेरिका के एक समाचार आउटलेट ने एक राजनयिक साइफर (एक गुप्त केबल) प्रकाशित किया था, जिसमें कहा गया कि अमेरिकी प्रशासन पिछले साल पूर्व पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान खान को सत्ता से हटाना चाहता था। अप्रैल 2022 में संसद में अविश्वास मत हारने के बाद इमरान खान को सत्ता से बर्खास्त कर दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि जब वह पद पर थे तब उन्हें ‘साइफर’ के बारे में पता था, जो उनके अनुसार साबित करता है कि अमेरिका ने उन्हें हटाने के लिए उनके राजनीतिक विरोधियों और पाकिस्तानी सेना की मदद से साजिश रची थी।
अमेरिकी राजदूत पहले जेल में बंद इमरान खान से मिलने गए, इसके बाद पूर्व पीएम नवाज शरीफ और पीपीपी के युसुफ रजा गिलानी सहित अन्य नेताओं से मिले। वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक वजाहत सईद का कहना है कि अमेरिका मानता है कि इमरान पाकिस्तान में सबसे लोकप्रिय नेता हैं। मुलाकात के दौरान ब्लूम ने इमरान से जेल की हालात और उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछा था। इमरान खान से ब्लूम ने कहा कि उनको सत्ता से हटाने में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।
इमरान की पार्टी ने अमेरिकी राजदूत से मुलाकात के मुद्दे को बेहद परिपक्वता से संभाला है। पहले इमरान ऐसी बैठकों को बेबाकी से खारिज करते रहे हैं। इस बार इमरान और उनकी बहन अलीमा की तरफ से इस मुलाकात को लेकर मीडिया में एक भी शब्द नहीं बोला गया है।
अमेरिका इमरान के केस में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा
बैठक के दौरान अमेरिकी राजदूत ब्लूम ने इमरान खान से अमेरिका की सार्वजनिक आलोचना कम करने को कहा। उन्होंने इमरान से यह भी कहा कि हम न्यायिक मुद्दों में उनकी मदद नहीं कर सकते क्योंकि अमेरिका उनके खिलाफ मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लूम ने बलूचिस्तान के क्वेटा का दौरा किया। उन्होंने पाकिस्तान को 33 करोड़ रुपए का पैकेज देने की घोषणा की है। इससे पहले ब्लूम ने अक्टूबर में ग्वादर पोर्ट का दौरा किया था। करीब 15 साल तक अमेरिका ने जिस बलूचिस्तान की अनदेखी की, उस प्रांत से अमेरिका का लगाव चौकाने वाला है क्योंकि यहीं से चीन का इकोनोमिक कॉरिडोर सीपेक गुजरता है।