दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने दिल्ली में एक मीटिंग कर एलान किया था कि बोर्ड को न्यायालय पर भरोसा नहीं रहा है।
राजनीतिक मामलों में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगा है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
मौलाना ने कहा कि सुन्नी सूफी बरेलवी मुसलमानों का मानना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के गठन का मकसद शरीयत के उसूलों की रक्षा और मुसलमानों के धार्मिक मसलों को हल करना है, लेकिन बोर्ड अपने मकसद से भटक गया है। मुसलमानों की शरई नुमाइंदगी के बजाय राजनीतिक मामलों में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगा है।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में किसी से समझौता नहीं किया जा सकता
मौलाना ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद है। इस मुद्दे पर किसी से समझौता नहीं किया जा सकता है। मुसलमानों को सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है कि हमें इंसाफ मिलेगा।
‘बोर्ड के लोगों को ऐसी बात नहीं कहनी चाहिये’
मौलाना ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के लोग जिम्मेदार और विद्वान हैं उनको भरोसा तोड़ने वाली बात नहीं कहना चाहिए। बोर्ड को करना तो ये चाहिए कि जिला कोर्ट बनारस, इलाहाबाद हाईकोर्ट, और सुप्रीम कोर्ट में बड़े वकीलों का पैनल खड़ा करके ज्ञानवापी के सबूत मे दलीलें पेश करते और कोर्ट को वकीलों द्वारा संतुष्ट किया जाता, मगर ये सब कुछ नहीं किया जा सका। मौलाना ने कहा कि जिस दिन से बोर्ड की स्थापना हुई है उस दिन से लेकर आज तक एक ही विचारधारा के लोगों का बोर्ड पे कब्जा रहा और अध्यक्ष रहे , जबकि बोर्ड के संविधान में ये लिखा हुआ है की देश के हर विचारधारा के व्यक्तियों को नुमाइंदगी दी जाएगी मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। भारत में मुसलमानों की कुल आबादी में 70 फीसद सून्नी सूफी बरेलवी मुसलमानों की आबादी है, ये 70 फीसद आबादी बोर्ड पर भरोसा नहीं करती है और न ही बोर्ड इनका नुमाइंदा है।